What is SSL in Hindi, Secure Socket Layer क्या है

SSL का फुल फॉर्म Secure Sockets Layer होता है जो एक इंटरनेट कनेक्शन और सेंसेटिव डाटा को सुरक्षा प्रदान करने की एक टेक्नोलॉजी है। जब किसी सेंसेटिव डाटा को इंटरनेट पर दो सिस्टम के बीच send किया जाता है तो SSL उसे क्रिमिनल से बचाता है और बिना किसी बदलाव के डेटा को transfer करने में मदद करता है। डेटा ट्रांसफर किसी भी दो सर्वर या फिर सर्वर-क्लाइंट के बीच हो सकता है।

SSL यह सुनिश्चित करता है कि दो क्लाइंट, वेबसाइट और दो सिस्टम के बीच जो भी डेटा ट्रांसफर हुआ है उसे पढ़ना असंभव है। SSL के द्वारा डेटा या इनफार्मेशन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए encryption algorithm का उपयोग किया जाता है जो कि डेटा को हैकर से बचाता है। यह इनफार्मेशन कोई भी आवश्यक डेटा या पर्सनल डिटेल्स जैसे क्रेडिट कार्ड number या नाम और एड्रेस हो सकती है।

SSL किसे कहते है (What is secure socket layer in hindi)

Secure Socket Layer in Hindi

सिक्योर सॉकेट लेयर एक ऐसी तकनीक है जो सर्वर और क्लाइंट के बीच एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम का उपयोग करके कनेक्शन को सुरक्षित बनाती है। यह SSL डेटा ऑनलाइन डेटा ट्रांसफर करने के लिए एक security protocol है जो कि encryption का उपयोग करके सेंसिटिव इनफार्मेशन को सुरक्षित रखता है। SSL का निर्माण 1990 में नेटस्केप नामक कंपनी के द्वारा किया गया था। बता दें कि SSL में 2 keys का उपयोग किया जता है जिसमे से एक Public key होती है और दूसरी private key होती है। जो public key होती है वो sender और receiver दोनों को पता होती है लेकिन private key सिर्फ receiver को पता होती है।

सिक्योर सॉकेट लेयर में क्रेडिट या डेबिट कार्ड नंबर, व्यक्तिगत जानकारी, आवश्यक डाक्यूमेंट्स आदि जैसी संवेदनशील जानकारी को सिक्योर करने लिए किया जाता है। आजकल ज्यादातर वेबसाइट secure socket layer का उपयोग करती है। जो वेबसाइट SSL का उपयोग करती है उनकी लिंक की शुरुआत http:// की जगह https:// से होती है।

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SSL काम कैसी करती है (How Secure Socket layer Works in Hindi)

SSL क्या होती है यह तो आप जान ही गये होंगे, आइये अब आपको बताते हैं कि Secure Socket layer काम कैसे करती है।

जब हम कंप्यूटर या मोबाइल में कोई वेबसाइट खोलते हैं तो ब्राउज़र वेबसाइट को खुद से identify कराने के लिए request करता है। इसके बाद वेबसाइट, ब्राउज़र को अपने SSL certificate की copy भेजती है। ब्राउज़र इस SSL certificate को चेक करता है और पता लगता है कि यह valid है या नहीं। अगर वेबसाइट का SSL सही है तो ब्राउज़र server को एक acknowledgement भेजता है। और इस प्रकार user और server के बीच SSL encrypted session शुरू होता है। अगर वेबसाइट का SSL सर्टिफिकेट नहीं होता तो ऐसे में ब्राउज़र आपको warning देगा कि यह वेबसाइट सिक्योर नहीं है।

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